By Kush Baghla
आदी है तू ही अंत है, हस्ती तेरी अनंत है
महादेव है महाकाल तू, तमस् हर्ता अरिहंत है I
हर कण में है विराज तू, था कल है कल भी आज तू
विकराल हो काल जितना भी, हर श्वास में बस्ती आस तू I
तेरे दम से ये सृष्टि चले, जटा में गंगा वास है
तेरी मस्ती में कुदरत खिले, तेरे क्रोध में लिपटा विनाश है I
शीतलता कैलाश की, प्रमाण तेरे उपकार की
ब्रह्मांड भी ख़ुद गुणगान करे, अजर अटल तेरे प्यार की I
जग में अटूट विश्वास तेरा, जीवन का है हर श्वास तेरा
अमृत हो उसका हर आखर, जिस जिह्वा पर हो नाम तेरा I
हो भक्ति में जो लीन तेरी, वो हर संकट से पार है,
महादेव की संगत में, हर दिन लगता त्योहार है I
By Kush Baghla
Very nice 👍
Very nice
What a lovely poem
har har mahadev 🙏🏻
Very beautiful poem