By Sonakshi Deora
हां ,मैंने चेहरे को बदलते देखा है| वक्त के साथ करवट बदलते देखा है| हां मैंने चेहरे को बदलते देखा है| इंसान वही जो वक्त के साथ संभल जाए देख चेहरों की असलियत थोड़ा ठहर जाए| सच्चाई कबूल कर खूबसूरती से रिश्तों को निभा पाए| हां ,मैंने चेहरे को बदलते देखा है| वक्त के साथ करवट बदलते देखा है| हां मैंने चेहरे को बदलते देखा है
हर चेहरा कुछ सीखना है| समय का अद्भुत चक्र दिखलाता है |भेद पाए जो उस समय चक्र को रिश्तो की जंग जीत जाता है| वही इस संसार में टिक पाता है |हर चेहरे का सत्य अलग हर चेहरे की कहानी अलग हर चेहरे पर नकाब है| अब हर नकाब बेनकाब है| जी हां ,हुजूर मैंने चेहरे को बदलते देखा है| समय के साथ करवट पलटते देखा है |हां ,मैंने चेहरे को बदलते देखा है|
वक्त सब सीखलाता है| चेहरों की असलियत दिखलाता है |पहर दर पहर नकाब हटता जाता है| हकीकत चेहरे की बयान कर पता है| सुन चेहरों की हकीकत जो रुके नहीं बह जाए |वही अपनी नैया पार लगा पता है |हुजूर ये चेहरे हैं कभी घमंड ना करना इन पर मतलब व जरूरत के हिसाब से बदल जाते हैं |पहन मुखौटे इस संसार में रह पाते हैं |हां ,मैंने चेहरे को बदलते देखा है| वक्त के साथ करवट बदलते देखा है|हां ,मैंने चेहरे को बदलते देखा है
बुरे वक्त में काम ना आते हैं |गिरे को और गिराते हैं |सहारे की बजाय धक्का दे जाते हैं |वक्त अच्छा हो तो साथ निभाते हैं |नहीं तो पीठ दिखाते हैं| यह चेहरे हैं हुजूर बदल जाते हैं |हां ,मैंने चेहरे को बदलते देखा है |वक्त के साथ करवट बदलते देखा ह! हां ,मैंने चेहरे को बदलते देखा है
By Sonakshi Deora
Awesome 👍👍
👌👌
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति
Nice poem keep it
Wonderful✨😍