By Banarasi
कपोल कल्पित सार गर्वित,
विषाक्त लोगों से परे।
उच्च स्थानीयता का आभास,
विकृत व्यक्तित्व की विचित्रता से परे।
चिंतनीय भाषा के अधिनायक,
अस्थूल उद्दीपक जगमग से परे।
ध्वजा सजाकर न करो प्रतीक्षा ,
नाश बुराई का सफल करें।
कपोल कल्पित सार गर्वित,
विषाक्त लोगों से परे।
दुर्बलता का तुम सामर्थ्य हो,
विरूपता का तुम सद्भाव हो।
नृजन दिल की तुम संवाद सार्थक ,
बेज़ार ज़िन्दगी की तुम सर्वोदय।
सकारात्मकता के मार्ग पर चला,
नकारात्मकता का भाव दूर करे।
कपोल कल्पित सार गर्वित,
विषाक्त लोगों से परे।
शक्ति का स्रोत अन्तर्यामी हो,
सहनशीलता का प्रतीक अमृत हो।
ज्ञान के बल से हो गर्वित ,
विज्ञान के महासागर की लहर में पड़े।
सम्प्रेषण की तुम संस्कृति चुनो,
संस्कार की तुम नई परंपरा बनें।
कपोल कल्पित सार गर्वित,
विषाक्त लोगों से परे।
विकसित भावनाओं का संगम,
प्रकृति का उत्थान सुनिश्चित करें ।
उदार चेतना का विकास हो,
भीतर की स्पंदित कटुता को हरे।
शिक्षा के पथ पर अग्रणी हो,
ज्ञान के प्रवाह में विहग बने।
कपोल कल्पित सार गर्वित,
विषाक्त लोगों से परे।
साहस के पुल पर कदम रखो,
सावधानियों से भव सागर को पार करे।
संघर्ष के समय हार न मानो,
अवसर के द्वार पर खुद को खड़ा करें।
अस्तित्व के सबब पर विश्वास रखो,
सृष्टि के रचयिता में विश्वास करे।
कपोल कल्पित सार गर्वित,
विषाक्त लोगों से परे।
प्रेरणा का स्रोत अनन्त अंतर्मुखी,
कर्तृत्व की ओर बढ़ते चलें।
क्षमता के सागर में ढलकर,
कर्मठता से कार्य सम्पन्न करें।
नवीनता के चरणों में आगमन कर,
विकास के रास्ते में प्रगति करे।
कपोल कल्पित सार गर्वित,
विषाक्त लोगों से परे।
कर्मठता की सीमा से हो तुम परे,
समर्पण और अध्यात्म से तुम बने ।
आत्म-निरीक्षण की गहराई से देख,
सत्य के पथ पर ही चले।
व्यक्तित्व के आवागमन को जान,
सार्वभौमिकता की ऊँचाइयों तक पहुंचें।
कपोल कल्पित सार गर्वित,
विषाक्त लोगों से परे।
हो विनीत कर मित्रता स्थापित ,
विरोध को स्नेह का रूप दिखे।
संघर्षों से न मान हार तुम,
उजियाले को ज्वलन्त करें।
समरसता के संग मिलकर गाते,
विकसित समाज की नई कहानी लिखें।
कपोल कल्पित सार गर्वित,
विषाक्त लोगों से परे।
उत्कृष्ट भाषा में साहित्य रच,
सच्ची मानसिकता का प्रवाह करें।
अहंकार को नष्ट कर बन नूतन ,
व्यक्ति और समाज में उत्कृष्ट रहें।
कपोल कल्पित सार गर्वित,
विषाक्त लोगों से परे।
सद्यः का नाटक है यह जीवन,
परिवर्तन का आधार लिए।
नहीं सहज है परिवर्तन की राहें,
संघर्षों से यात्रा कर जाने।
कपोल कल्पित सार गर्वित,
विषाक्त लोगों से परे।
जीवन के अनमोल सूत्र धारी,
अमित साहस से करो तुम ।
आत्मा की गहराइयों को जानो,
अध्यात्म से अधिकारी बनो तुम।
विश्वास की मिसाल बनो तुम,
सफलता की ख्वाहिश से परे तुम।
कपोल कल्पित सार गर्वित,
विषाक्त लोगों से परे।
विकृति के बाग में खिलने वालों,
धरोहर को बचाओ तुम।
दुर्भावना के भव से बचो तुम,
दया के ताप से बचो तुम।
संघर्ष के मार्ग पर चलो तुम,
सच्चे आनन्द को पाओ तुम।
कपोल कल्पित सार गर्वित,
विषाक्त लोगों से परे।
धरोहर के सम्मान से पलक जाएं,
विश्वास के सूर्य में स्वर्णिम चंद्र लगाएं।
देख शिखा अपने अटल विश्वास की,
बनारसी भी अपनी जटा फैलाए।
कपोल कल्पित सार गर्वित,
विषाक्त लोगों से परे।
By Banarasi
Waah
🎊🎊
👋KKKका