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चाय पर आओ कभी

Updated: Dec 22, 2023

By Abhimanyu Bakshi


आओ इक साथ बैठकर कुछ बातें की जाएँ,

बातों के साथ-साथ चाय की चुस्की ली जाए।


तनहा मैं भी नहीं न तुम हो दोनों को मालूम है,

पर वो चिंता की चादर ज़रा हल्की की जाए।


मैं सीखूँगा तुमसे कुछ तुम सीखना मुझसे भी,

यूँ ही ख़्यालों की अदला-बदली की जाए।


शाम को ढलते देखेंगे कि सूरज आख़िर जाता कहाँ है,

मसरूफ़ ज़िंदगी की रफ़्तार ज़रा धीमी की जाए।



विचार करते हैं और किसी नतीजे पर आते हैं,

इस ज़माने की भी ज़रा भलाई की जाए।


फ़रियाद, बहस-बवाल तो कहीं भी कर लेंगे,

हर शय के ख़ातिर दो बातें अच्छी की जाएँ।


बुनते हैं कुछ यादें आने वाले कल के लिए,

और कुछ पुरानी यादें धुंधली सी ताज़ा की जाएँ।


टूटे-फूटे लफ़्ज़ों से ग़ज़ल बना तो देते हैं लेकिन,

एक शायरी ऐसी भी हो जो साथ लिखी जाए।।…


By Abhimanyu Bakshi





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2件のコメント

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piyushgarment
2024年1月11日
5つ星のうち5と評価されています。

Awesome

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seema pahwa
seema pahwa
2024年1月11日
5つ星のうち5と評価されています。

Bhut khoob👏🏻👏🏻

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