By Dr. Anil Chauhan "Veer"
चलो भूल जाता हूँ बातें तुम्हारी ।
मोहोब्बत में डूबी वो रातें तुम्हारी ।।
वो भीगे से गेसू के शफ़्फ़ाक गौहर,
जो मेरे ही काँधे पे गिरते थे अक्सर ।
वो आँखों के उठते ही पलकों का गिरना,
वो शर्मा के बाहों में मेरी सिमटना ।।
(शफ़्फ़ाक गौहर- मुलायम मोती)
मेरे ज़हन में याद बनकर बसे हैं,
वो दिन भी तुम्हारे वो रातें तुम्हारी ।
चलो भूल जाता हूँ बातें तुम्हारी,
मोहोब्बत में डूबी वो रातें तुम्हारी ।।
वो दिनभर की क़समें, वो शबभर के वादे,
वो मासूम चेहरा, वो कातिल इरादे ।
निगाहें मिलाकर गिरफ़्तार करना,
वो ज़ुल्फ़ें झटककर तेरा वार करना ।।
है मुश्किल, मगर देखना रफ़्ता-रफ़्ता,
भुला दूँगा मैं सारी बातें तुम्हारी ।।
चलो भूल जाता हूँ बातें तुम्हारी,
मोहोब्बत में डूबी वो रातें तुम्हारी ।।
By Dr. Anil Chauhan "Veer"
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