By Priyanka Gupta
तनु ने मोबाइल अपनी कार में ड्राइवर सीट के सामने लगे स्टैंड पर लगा रखा था । मोबाइल में गूगल मैप ,तनु को उसकी मंजिल होटल आर्किड तक पहुँचने के लिए डायरेक्शन दे रहा था । एक घंटे की ड्राइव के बाद तनु अपनी मंजिल पर पहुँच गयी थी । गूगल मैप के अनुसार होटल सामने ही था ;लेकिन वहाँ तो रास्ता बंद था । वहीँ पर कुछ बच्चे खेल रहे थे ;तनु की कार जैसे ही वहाँ रुकी ;बच्चे अपना खेल छोड़कर कार देखने लगे । जब उन्होंने इतनी बड़ी कार जीप कम्पास किसी लड़की को चलाते देखा तो उनकी जिज्ञासा और बढ़ गयी थी ।
तनु ने कार का शीशा नीचे कर दिया था और कार से अपना चेहरा बाहर निकालकर एक बच्चे को इशारा करके अपने पास बुलाया । "बच्चों ,होटल आर्किड किस तरफ है । "
"अरे ,दीदी ;यह तो होटल का पिछवाड़ा है। एंट्री तो आगे की तरफ से होती है । ",एक बच्चे ने कहा । तब तक अन्य बच्चे तनु की गाड़ी को घेरकर खड़े हो गए थे ;बच्चे उसकी गाड़ी को छू -छू कर देख रहे थे । तनु ने उसके पास पहले से ही रखे हुए कुछ बिस्किट के पैकेट उन बच्चों को निकालकर दिए ।तनु हमेशा अपने पास कुछ न कुछ खाने का रखती थी ताकि किसी जरूरतमंद को दे सके । तनु कभी भी माँगने वालों को रूपये -पैसे नहीं देती ;वह हमेशा उन्हें कुछ चीज़ें ही देती है । तनु ने अपनी आगे बढ़ चुकी गाड़ी को बैक लिया । ज़िन्दगी में भी कई बार अपने सपनों को पूरा करने के लिए हमें ,मंजिल की तरफ आगे बढ़ने के लिए कुछ कदम पीछे लेने ही पड़ते हैं ।
तनु अभी मैन रोड पर पहुँची ही थी कि उसका फ़ोन बज उठा । उसने गाड़ी एक तरफ रोककर फ़ोन देखा तो विक्रांत का नाम स्क्रीन पर चमक उठा । तनु ने जैसे ही फ़ोन उठाया ,उधर से आवाज़ आयी ,"हेलो जान ,कहाँ पहुंची ?""होटल के पीछे ;गूगल मैप की बदौलत । इसीलिए तो कहती हूँ कि तकनीकी कभी इंसान को रिप्लेस नहीं कर सकती ।""तुम तो हमेशा ही सही कहती हो । अब जल्दी से आ जाओ । ","तुम फ़ोन रखोगे ,तब ही तो आऊँगी । फ़ोन पर बात करते -करते मैं कभी गाड़ी ड्राइव नहीं करती ;तुम्हें तो पता ही है । ""अरे यार भूल ही गया था । फ़ोन रखता हूँ । टेक केयर एंड कम सून । ",ऐसा कहकर विक्रांत ने फ़ोन रख दिया था ।तनु और विक्रांत एक साथ एक ही ऑफिस में काम करते थे । दोनों एक -दूसरे को पिछले एक साल से डेट कर रहे थे । आज भी तनु विक्रांत से मिलने ही होटल ऑर्किड जा रही थी । तनु का फ़ोन फिर से बजा ।इस बार स्क्रीन पर माँ का नाम चमक रहा था । "मम्मी का फ़ोन उठा ही लेती हूँ ;नहीं तो बार -बार फ़ोन बजता रहेगा । "हेलो मम्मा ,कैसे हो आप ?""एक युवा अविवाहित बेटी की माँ को जैसा होना चाहिए ;वैसी ही हूँ । "मम्मी ने कहा । "फिर आपका वही मेलोड्रामा शुरू हो गया ,मेरी ड्रामा queen । ""नहीं बेटा ,तू अब तीस साल की होने वाली है । तेरे साथ की लड़कियाँ दो -दो बच्चों को गोदी में लिए घूम रही है । अब तो लोग मुँह पर ही बोलने लगे हैं ;कमाऊ बेटी है ;भई शादी कर दी तो कमाकर ससुराल वालों का घर भरेगी । इतने सारे लड़कों की फोटो दिखा चुके ;तुझे कोई पसंद ही नहीं आता । अगर तुने किसी को पसंद कर रखा है तो बता दे ;हम उसी से तेरी शादी करा देंगे । ",तनु की मम्मी का कहना जारी था ।"चलो मम्मी ,बाद में बात करते हैं । कोई पसंद होगा तो आपको बता ही दूँगी । किसी क्लाइंट का कॉल आ रहा है । ",वेटिंग में विक्रांत का नंबर देखकर तनु ने फ़ोन रखते हुए कहा ।"कहाँ हो यार ?",विक्रांत ने फ़ोन पर कहा । "अरे यार ,मम्मी का फ़ोन आ गया था । सोचा बात करके निपटा दूँ ;नहीं तो बार -बार फ़ोन करती रहेंगी । नहीं उठाया तो रूममेट को फ़ोन करेंगी । ""तुम्हारी मम्मी ,पता नहीं हम दोनों के बीच में कब तक आती रहेंगी । ",विक्रांत ने झल्लाते हुए कहा । "मेरी तो सिर्फ मम्मी है ;तुम्हारे तो पता नहीं कौन -कौन हमारे बीच में हैं । मेरी माँ हैं वो ;उन्हें फ़िक्र है मेरी । ",तनु ने नाराज़गी जताते हुए कहा । "अरे यार ,प्लीज दोबारा वह सब शुरू मत करना. ",विक्रांत ने मिन्नत करते हुए कहा । "चलो फ़ोन रखो ; दो मिनट में पहुँचती हूँ ",तनु ने फ़ोन डिसकनेक्ट करते हुए कहा ।
तनु होटल ऑर्किड पहुँच गयी थी । होटल के सामने उसने अपनी गाड़ी रोकी और जैसे ही वह गेट खोलकर बाहर आयी ,सिक्योरिटी गार्ड आ गया था । उसने तनु को एक टोकन दिया और उससे गाड़ी की चाबी ले ली । तनु एक हाथ में मोबाइल और दूसरे हाथ में अपना हैंडबैग पकड़े होटल के गेट पर पहुंची ,वहां मौजूद सिक्योरिटी गार्ड ने गेट खोल दिया ।"आज तक किसी भी होटल में एयर इंडिया के महाराजा जैसे ड्रेस पहने हुए कोई भी गार्ड नहीं मिला । ऐसे गार्ड तो फिल्मों में ही दिखते हैं । 'गोरे -गोरे मुखड़े पर काला -काला चश्मा 'गाने में भी तो वही गार्ड था । ",सोचते हुए तनु मुस्कुरा दी थी ।तनु लिफ्ट तक पहुँच गयी थी । "कौनसा फ्लोर मैडम ?",लिफ्टमैन ने पूछा । "थर्ड फ्लोर । " तनु ने अपने हैंडबैग से हैंड मिरर निकाला और अपना चेहरा देखा । "सब कुछ ठीक है । ",उसने अपने आप से कहा । लिफ्ट से बाहर आकर ,गैलरी में थोड़ा चलने के बाद तनु को रूम नंबर 315 दिख गया था । तनु ने हलके से गेट पर नॉक किया । आवाज़ इतनी धीरे थी कि तनु को खुद को भी नहीं सुनाई दी थी । "आ गयी मेरी ख़्वाबों की मल्लिका । ",गेट खोलकर ,तनु की तरफ लाल ग़ुलाब बढ़ाते हुए विक्रांत ने बहुत ही प्यार से कहा ।"क्या गेट पर ही खड़े थे ?",तनु ने अंदर घुसते हुए पूछा ।"अरे हुज़ूर ,हम तो आपकी क़दमों की आहट से ही पहचान लेते हैं कि आप आ रहे हो।",विक्रांत ने रोमांटिक होते हुए कहा । विक्रांत की इन प्यार भरी बातों में ही तो वह बह गयी थी।उसने कभी नहीं चाहा था कि उसे घर तोड़ने वाली कहा जाए । उसने कितनी ही बार खुद को रोका था ,लेकिन बादलों को बरसने से भला रोका जा सकता है ? बीज को फूटने से आज तक कोई रोक पाया है ? सूरज को उदय होने से किसने रोका है?
करण से ब्रेक अप के बाद वह कितनी अकेली पड़ गयी थी ?तब ऑफिस में उसके सीनियर विक्रांत ने ही तो उसे सम्हाला था और हौंसला दिया था । कब विक्रांत के साथ दोस्ती प्यार में बदली और तनु विक्रांत के साथ इतनी आगे बढ़ गयी ;तनु को पता ही नहीं चला था। "मेरे मम्मी -पापा दूसरी जाति की लड़की को कभी भी अपने घर की बहू के रूप में स्वीकार नहीं करेंगे । ",5 सालों के प्यार भरे रिश्ते को ऐसा कहकर, करण एक सेकंड में तोड़कर चला गया था । "जब शादी नहीं कर सकते थे तो प्यार ही क्यों किया था।",तनु के इस सवाल का कोई जवाब नहीं दिया था करण ने।ज़वाब देता भी कैसे ?वह तो बाद में पता चल ही गया था कि दहेज़ की मोटी रकम के लिए करण ने अपने आपको बेच दिया था । आज करण को गए 2 साल होने को आये हैं । अब तनु भी शादी करना चाहती है ;उसे अपना घर ,अपने बच्चे सब कुछ चाहिए । वह विक्रांत से कई बार शादी के लिए कह चुकी है ;लेकिन विक्रांत हर बार उसे टाल देता है । "आज तो बहुत इंतज़ार करवाया ।",विक्रांत ने अपनी बाँहें तनु के गले में डालते हुए कहा । "पहले कुछ खाने के लिए आर्डर कर दो । ",तनु ने उसकी बाँहों के घेरे से खुद को आज़ाद करते हुए कहा । "मुझे तो जो खाना है ;वह मेरे सामने है । ",विक्रांत ने अपने लब ,तनु के लबों की तरफ बढ़ाते हुए कहा । "आज मूड नहीं है । ",तनु ने अपना चेहरा पीछे कर लिया था । "क्या हुआ ?अभी तुम्हारा मूड सही करता हूँ । ",विक्रांत ने फ़ोन पर तनु का फेवरेट रेड वेलवेट पेस्ट्री और वन गो सलाद आर्डर किया और साथ ही दो कॉफ़ी भी । थोड़ी देर में दरवाज़े पर नॉक हुआ । "शायद ,आर्डर आ गया है । ",ऐसा कहते हुए विक्रांत आर्डर लेने चला गया था । "लीजिये हुजूर ,आपकी खिदमत में लाल परी पेश है । ",रेड वेलवेट पेस्ट्री ,घुटनों के बल बैठकर पेश करते हुए विक्रांत ने कहा । "लाल परी । ",तनु विक्रांत की बात सुनकर मुस्कुरा दी थी । दोनों ने पेस्ट्री और सलाद खायी । फिर कॉफ़ी पी । "तुम्हें जो खाना था ;खिला दिया । अब मेरी बारी । ",विक्रांत ने अपने होंठ तनु के माथे पर रख दिए थे । तनु धीरे -धीरे विक्रांत की बाँहों में समाने लगी थी । तनु ने अपनी आँखें बंद कर ली थीं । विक्रांत के लब ,तनु के लबों तक पहुँचने ही वाले थे कि विक्रांत का फ़ोन बज उठा । विक्रांत तनु को एक तरफ करके ,फ़ोन लेकर बालकनी में भागा । "साक्षी का फ़ोन था । टिया की तबियत खराब है और मुझे जाना ही होगा । ",विक्रांत ऐसा कहकर तनु की को बात सुने बिना तुरंत ही निकल गया था ।
विक्रांत के जाने के बाद तनु कुछ देर तो वहीं खड़ी रही ;उसकी रुलाई फूटने ही वाली थी। वह वाशरूम में चली गयी थी ;यह उसकी पुरानी आदत थी।वह अपने आपको मजबूत दिखाने के लिए कभी भी किसी के सामने नहीं रोती थी ।तनु ने वाशबेसिन का नल खोल दिया था ; पानी के साथ -साथ उसकी आँख से आँसू बह रहे थे । 5 मिनट तक फ़फ़क -फ़फ़क कर रोने के बाद ,तनु ने अपने आँसू पोंछे और ठन्डे पानी के छींटे अपने चेहरे पर डाले । "यह तू क्या कर रही है ?तू किसी के जीवन में दूसरी औरत कैसे बन सकती है ?",सामने आईने में दिख रही परछाई ने कहा । "नहीं ,मैं कोई दूसरी औरत नहीं हूँ । विक्रांत इस रिश्ते में खुश नहीं है ; वह साक्षी से परेशान है । जल्द ही तलाक ले लेगा और मुझसे शादी कर लेगा । ""तू मुझसे झूठ नहीं बोल सकती । पिछले 2 साल से अपनी चिकनी -चुपड़ी बातों से वह तुझे पागल बना रहा है ;तेरा इस्तेमाल कर रहा है । आज तक उसने डिवोर्स केस तो फाइल किया नहीं ;डिवोर्स क्या ख़ाक लेगा ?न नौ मन तेल होगा और न राधा नाचेगी । न तो उसका डिवोर्स होगा और न ही तेरी उससे शादी । आज तू दूसरी औरत है ;कल तेरी जगह कोई और होगा । ",वह साया कहाँ चुप होने वाला था । "चुप रहो । तुम्हें कुछ नहीं पता । ",तनु वाशरूम से बाहर आ गयी थी । वह बाहर आकर बिस्तर पर कटे वृक्ष सी ढह गयी थी ।विक्रांत शादीशुदा था ;यह जानते हुए भी तनु उसके मोहपाश में बँधती चली गयी थी । क्या प्यार सही में इतना अँधा होता है ? तनु एक ऐसे रास्ते पर बढ़ती जा रही थी ;जिसका कोई अंत नहीं था । वह इस रिश्ते की दलदल में धँसती ही जा रही थी । इस एक रिश्ते को निभाने के लिए ,उसने अपने कितने ही रिश्तों को नाराज़ कर दिया था । हम इंसान हमेशा उसके पीछे ही क्यों भागते हैं ;जिसका मिलना दुर्लभ होता है । सरलता से मिलने वाला हमें क्यों नहीं भाता ?
तनु ने विक्रांत के कारण ही तो अपने बचपन के सबसे अच्छे दोस्त अश्विन से भी झगड़ा कर लिया था । जब तनु को करण से प्यार हुआ था ;तब उसने सबसे पहले अश्विन को ही बताया था । लेकिन जब ब्रेक अप हुआ ,तब परिस्थितियाँ ही ऐसी बन गयी थी कि वह अश्विन से बात नहीं कर सकी थी । अश्विन तब अपने ऑफिस के काम की वजह से 1 महीने के लिए लंदन गया हुआ था । पहली बार हुआ था कि तनु और अश्विन इतने दिनों तक बात नहीं कर पाए थे । अगर तब अश्विन यहाँ होता तो ,शायद तनु की ज़िन्दगी में विक्रांत नहीं होता । तनु को कुछ समझ नहीं आ रहा था । वह पिछले 6 महीनों से अश्विन और विक्रांत के बीच कंफ्यूज थी । कंफ्यूज थी या उसका ईगो ,उसे अश्विन के पास जाने से रोक रहा था । उसने खुद ने ही तो अश्विन को उस दिन चिल्लाकर कहा था कि ,"हम दोनों दोस्त से ज्यादा कभी कुछ नहीं हो सकते ?""तुम अच्छी दोस्त हो ;इसीलिए समझा रहा हूँ । विक्रांत के साथ तुम्हारे रिश्ते का कोई भविष्य नहीं है । वाकई में ,तुम्हारे आसपास के लोग तुम्हें घर तोड़ने वाली दूसरी औरत कहेंगे । तुम अपनी प्रतिष्ठा एक ऐसे आदमी के लिए दाँव पर लगा रही हो ;जिसके लिए तुम एक पेपर नैपकिन से ज्यादा कुछ नहीं हो । पेपर नैपकिन ;यूज़ एंड थ्रो । ",अश्विन ने पहली बार तनु को गुस्से में बोला था । तनु ने भी उस दिन अपना फ़ोन गुस्से में दीवार पर दे मारा था । उस दिन जैसा गुस्सा तनु को कभी नहीं आया था । शायद अश्विन ने उसे उस सच्चाई से अवगत करवाने की कोशिश की थी ;जिसे जानते हुए भी वह मानने को तैयार नहीं थी । वैसे भी उस दिन झगड़ा तो तनु ने ही शुरू किया था ;अपनी मम्मी का गुस्सा अश्विन पर निकाला था । विक्रांत के कारण तनु खुद फ़्रस्ट्रेट रहती है और शायद अपनी फ़्रस्ट्रेशन अपने सबसे प्रिय और घनिष्ठ व्यक्तियों पर निकालती रहती है ।
उस दिन तनु की मम्मी ने फ़ोन किया और बहुत खुश होते हुए बोली कि ,"बेटा ,तुने हमें क्यों नहीं बताया ?हमें तो अश्विन शुरू से ही पसंद था । पहले ही बता देती । ""आप यह क्या कह रहे हो ?""आज अश्विन के मम्मी -पापा आये थे । अश्विन के लिए तेरा हाथ माँगने । ""बाद में बात करती हूँ । ",कहकर तनु ने फ़ोन रख दिया था । तनु ने तुरंत अश्विन को फ़ोन मिलाया ,"अश्विन ,यह सब क्या है ?तुम्हें मेरे और विक्रांत के बारे में सब पता है ;उसके बावजूद भी तुमने अपने मम्मी -पापा को मेरे घर रिश्ता लेकर भेज दिया । तुम कैसे दोस्त हो ?","एक मिनट ;तनु कोई बहुत बड़ी ग़लतफ़हमी हुई है । मैंने अपने मम्मी -पापा को कहीं नहीं भेजा था । तुम मुझे 10 मिनट का समय दो ;मैं सब क्लियर करता हूँ । ",अश्विन ने कहा । "तुमने जो रायता फैलाया है ;उसे तुम ही समेटो । ",तनु ने फ़ोन काट दिया था । थोड़ी देर में अश्विन के फ़ोन से पहले ही तनु की मम्मी का फ़ोन आ गया था ,"अभी अश्विन के मम्मी -पापा का फ़ोन आया था । उन्होंने माफ़ी मांगते हुए कहा कि उन्हें ग़लतफ़हमी हो गयी थी । अश्विन और तनु का रिश्ता नहीं हो सकता । "तनु ने चैन की साँस ली थी । लेकिन आज तनु इतना बैचेन क्यों महसूस कर रही थी ?आज उसे बार -बार अश्विन की याद क्यों आ रही थी ?उस दिन फिर अश्विन का फ़ोन आया था ।
"वो हम दोनों अक्सर बात करते रहते हैं और मैं हमेशा तुम्हारी मदद के लिए आ जाता हूँ ;फिर मैं भी लगातार शादी की बात टाल रहा हूँ ;शायद इसीलिए उन्हें लगा कि मैं तुम्हें पसंद करता हूँ । ""ठीक है । मम्मी का फ़ोन आ गया था । ""वैसे मेरे मम्मी -पापा को गलत नहीं लगा था । मेरे दिल के दरवाज़े तो तुम्हारे लिए हमेशा ही खुले हैं । लेकिन तुम ही एक ऐसे दरवाज़े पर दस्तक दे रही हो ;जिसके खुलने के अवसर शून्य के बराबर हैं । ",अश्विन ने कहा था । "अश्विन तुम मेरे बहुत अच्छे दोस्त हो ;लेकिन दोस्ती की कुछ सीमायें होती हैं ।तुम मेरे इस मामले में मत पड़ो । ","क्यों न पडूँ। तुम दोस्त हो ;तुमसे प्यार करता हूँ । मुझसे न सही ,किसी से भी शादी कर लो ;लेकिन इस विक्रांत की ज़िन्दगी में दूसरी औरत बनकर मत रहो । अपने आत्मसम्मान को ऐसे मत कुचलो । ""तुम अपने काम से काम रखो । यह तुम नहीं तुम्हारी जलन बोल रही है ।",तनु ने कहा था ।
"तनु ,विक्रांत तुमसे प्यार नहीं करता । उसे तुम्हारी भावनाओं से कोई मतलब नहीं है । तुम उसके लिए एक खिलौना मात्र हो । तुम इतनी नासमझ कैसे हो सकती हो ? तुम एक स्वतंत्र सोच वाली लड़की हो । "
"अश्विन तुम भी तो वही कर रहे हो ,जो मैं कर रही हूँ । फर्क सिर्फ इतना सा ही तो है कि मेरे प्यार के बदले में मुझे प्यार मिल रहा है । अपनी विपरित परिस्थितियों के कारण विक्रांत मुझसे शादी भले ही न कर पा रहा हो ;लेकिन प्यार तो करता ही है । तुम तो एक लड़की से एकतरफा प्यार करते हो और इस प्यार के बदले में तुम्हें कुछ नहीं मिलेगा । फिर भी तुम प्यार करना कहाँ छोड़ पा रहे हो ?"
अश्विन ने फ़ोन रख दिया था और समझ गया था कि तनु अभी कुछ नहीं समझेगी ।
जब कोई इंसान हमें सच्चाई का आईना दिखाने की कोशिश करता है तो हम उससे बचने का प्रयास करते हैं। ऐसा ही कुछ उस दिन तनु के साथ था और उसने गुस्से में न केवल अपना फ़ोन ही तोड़ दिया, बल्कि अश्विन को भी भला -बुरा कह दिया था । लेकिन अश्विन भी तो उसकी किसी बात का कहाँ बुरा मानता था । २-4 दिन बाद जब उसने अश्विन को फ़ोन किया ;अश्विन ने उसका फ़ोन उठा लिया था । तनु अश्विन की फ़िक्र और उसमें छुपे प्यार को अच्छे से समझती थी । लेकिन वह जब भी विक्रांत से सारे रिश्ते तोड़कर आगे बढ़ने का सोचती ;विक्रांत उसे अपनी बातों से कैसे न कैसे मना ही लेता था । ऑफिस में वह कई लोगों के लिए गॉसिप का विषय बन चुकी थी । वैसे भी अपनी साथी महिला की तरक्की पुरुष साथियों के लिए पचाना मुश्किल होता है;इसीलिए वह सबसे पहले उसके चरित्र का विश्लेषण करना शुरू करते हैं । तनु की मेहनत ,ईमानदारी ,,कार्य के प्रति निष्ठा किसी को नज़र नहीं आती थी ;सभी लोग उसकी उपलब्धियों को उसके विक्रांत के साथ संबंधों से जोड़ते थे । महिला साथी अक्सर कह ही देती थीं कि ,"हम तनु जैसे नहीं बन सकते । "विक्रांत भी तो आज के ही जैसे,कितनी ही बार तनु को साक्षी के एक फ़ोन कॉल पर छोड़कर चला गया था । "अगर नहीं जाऊँगा तो साक्षी मेरा जीना हराम कर देगी । नरक बना रखी है उसने मेरी ज़िन्दगी । बात -बात पर पुलिस को बुलाने की धमकी देती है । उसके घरवाले भी उसी का ही साथ देते हैं । मैं बिल्कुल अकेला हूँ । ",विक्रांत हर बार विक्टिम कार्ड खेलकर खुद को बचा लेता था । "जब तुम्हें करण ने छोड़ा था ;तब मैं तुम्हारे साथ खड़ा था ।हमारा प्यार एक-दूसरे से मिलने का मोहताज नहीं है । यह हमारी परीक्षा की घड़ी है । ",विक्रांत अपनी गल्तियों का भी दोष तनु पर मढ़ने की कोशिश करता था । लेकिन आज तनु अपने आपको इस खोखले रिश्ते से आज़ाद कर ही लेगी । तनु ने अपना लैपटॉप खोला और अपना इस्तीफ़ा अपने बॉस को मेल कर दिया । विक्रांत को तनु ने मेल लिखा कि ,"डियर विक्रांत ,हमारा साथ यहीं तक ही था । हमारा प्यार साथ रहने का मोहताज नहीं है ;जैसा तुम हमेशा कहते हो । हमारे रास्ते तो हमेशा ही अलग थे ;यह तो एक क्रासिंग पर हम कुछ देर के लिए साथ हो गए थे । तुम साक्षी को छोड़ नहीं सकते और मैं तुम्हारी ज़िन्दगी में दूसरी औरत बनकर और नहीं रह सकती । मैं अपने आप से नज़रें नहीं मिला पाती हूँ । मुझे अपने आप से नफरत होने लगे ;उससे पहले ही हमारा एक -दूसरे से दूर हो जाना बेहतर है । मैं यह शहर ;यह नौकरी सब कुछ छोड़कर जा रही हूँ । अलविदा ;साक्षी और टिया को खुश रखना । तनु । "लैपटॉप पर सेंड का बटन प्रेस करने से पहले ,तनु ने कुछ देर अपनी आँखें बंद की और सोचा । "मेरे लिए यही सबसे सही है । आगे बढ़ने के लिए मुझे यहाँ से निकलना ही होगा । ",अपने आप से यह कहते हुए तनु ने सेंड के टैब पर क्लिक कर दिया था ।
By Priyanka Gupta
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