By Dr. Abdul Gaffar Khan
न दिल टूटा है मेरा, न लगाया,
जज़्बात ज़ाहिर करूँ ऐसे क्योंकि,
खौफ़-ए-ख़ुदा दिल में बसाया।
नापाक को पाक बना दे खौफ़-ए-ख़ुदा,
बेग़ैरतो में ग़ैरत लादे खौफ़-ए-ख़ुदा,
बेवकूफ़ों को सहमत करा दे खौफ़-ए-ख़ुदा,
शैतान को ईमान दिला दे खौफ़-ए-ख़ुदा।
सिफ़ारिशों का परचम है खौफ़-ए-ख़ुदा,
खुशबुओं का मयखाना है खौफ़-ए-ख़ुदा,
दरिंदगी का सुखद हल है खौफ़-ए-ख़ुदा,
इंसानियत का पैमाना है खौफ़-ए-ख़ुदा।
अंधेरे में सुरूर बना दे खौफ़-ए-ख़ुदा,
राख को जीशान बना दे खौफ़-ए-ख़ुदा,
हैवान को अब्दुल बना दे खौफ़-ए-ख़ुदा,
मग़रूर को गफ़्फार बना दे खौफ़-ए-ख़ुदा।
सहमे को पठान करे खौफ़-ए-ख़ुदा,
बहके को एहकाम करे खौफ़-ए-ख़ुदा,
ज़ीनत को तमाम करे खौफ़-ए-ख़ुदा,
विज्ञान को बुरहान करे खौफ़-ए-ख़ुदा।
गुलामी से आज़ादी है खौफ़-ए-ख़ुदा,
आशिकों के लिए रूहानी है खौफ़-ए-ख़ुदा,
नफ़रत के बाज़ार में खौफ़ का एक ज़रिया है खौफ़-ए-ख़ुदा,
नहीं समझो तो सिर्फ़ एक नाकामी है खौफ़-ए-ख़ुदा।
इसलिए, कर रहा हूँ मैं उसका शुक्रिया,
मुझे खौफ़-ए-ख़ुदा जिसने दिया।
By Dr. Abdul Gaffar Khan
コメント