By Ganesh Patel
दिव्य आलोकिक प्रकाश पुंज
चतुर्भुज विष्णु में साकार हुआ
कारावास में वासुदेव देवकी
ने ये परम सत्य स्वीकार किया\१\
सुनो देवकी पूर्व जन्म का
मै वरदान तुम्हारा आया हु
मुझको पुत्र स्वीकार करो
मै स्वय विष्णु ही आया हु \२\
हे महा विष्णु सुनो विनय मेरी
तुम बाल रूप स्वीकार करो
हे पारब्रह्म परमेश्वर मेरे
वात्सल्य अनुरूप बनो \३\
सुनो वासुदेव मेरे बालरूप को
गोकुल लेकर के जाना
बाबा नन्द यशोदा मैया को
मुझको तुम देकर आना\४\
मेरी शक्ति योगमाया को
वहा से तुम लेकर आना
पहरेदारो का भय मत मानो
वापिस कारावास चले आना \५\
खुल जाएगी सभी बेड़ियाँ
तुम चलने की राह चुनो
यमुना तुमको स्वंम मिलेगी
आतुर मेरे स्वागत को\६\
शेषनाग भी छाया बन कर
साथ तुम्हारे वहा रहेगे
हे वासुदेव सत्य साक्षी बनकर
मुझसे पहले पूज्य बनोगे \७\
एवमस्तु कह तुरत प्रभु ने
शिशु रूप स्वीकार किया
सोये पहरेदार तभी बाबा ने
ईश्वर आदेश स्वीकार किया\८\
हे जगत पिता हे मृतुन्जय
हे आजन्मा हे बाल सखे
भक्तो की खातिर हे गिरधर
कारावास जनम स्वीकार किये \९\
By Ganesh Patel
Sarahniya varnan...Krish jamn ki bhakti ras se bhara!
बहुत सुंदर
Jai shree Krishna
khoob sundar rachna sir
बहुत सुंदर कृति...