- hashtagkalakar
कहीं और चलते हैं
By Snigdha Bhardwaj
चलो ना कहीं और चलते हैं,
अहम और अपेक्षाओं से परे,
चलो एक नया जहान गढ़ते हैं,
चलो ना कहीं और चलते हैं।
वो जहान जहाँ कोई जानता ना हो,
हमारी खामियों को पहचानता ना हो।
वो जहान जहाँ कोई अपना ना हो,
हर आँख में टूटा सपना ना हो।
वो जहान जहाँ कोई द्वेष ना हो,
मैं सही तुम ग़लत
यही सिद्ध करना जीवन का उद्देश्य ना हो।
वो जहान जहाँ दिल ग़मगीन ना हो
जहाँ कोई उच्च और कोई हीन ना हो।
जहाँ हम बेफ़िक्र ख़ुद को चुन सकें,
जहाँ हम नामुमकिन सपने बुन सकें।
जहाँ प्यार के बदले प्यार मिले,
जहाँ चंद ही सही, पर सच्चे यार मिलें।
जहाँ नज़रों के तराज़ू में ना तोले जायें,
जहाँ दो बोल प्यार के बोले जायें।
जहाँ मुरझाए फूल फिर खिलते हैं,
जहाँ धरती आकाश मिलते हैं..
दूर, उसी क्षितिज के पार चलते हैं,
चलो ना, कहीं और चलते हैं!
By Snigdha Bhardwaj