कलाकार
- hashtagkalakar
- Dec 25, 2023
- 1 min read
By Hemalatha Swaminathan
शाम कहती है ,
चल फिर कोई खेल रचें,
फिर किस साँचें में खुद को ढालें,
फिर कोई पात्र निभाएं,
फिर लफ़्ज़ों के खेल खेलें!
क्यूंकि डर लगता है की
किरदार के सपने अगर न हो आँखों में,
तो नींद धोका दे जाएगी हमें!
By Hemalatha Swaminathan
Brilliant and deeply engaging at different layers ...