कलयुग की द्रौपदी
- hashtagkalakar
- May 12, 2023
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By Sunaina Arora
कलयुग की द्रौपदी
महाभारत का बिखरा हुआ अभिमान है ।
जो सभा मौन साध ले देखकर उसके तिरस्कार को
किसी अभिशाप से कम नहीं इस बात से जग अजांन है।
नवरात्रों में जिन्हें पूजा जाता है
सड़क पर उन्हीं का दुपट्टा उनसे छीन लिया जाता है ।
महादेव जैसा क्रोध है अद्भुत तांडव करती है ,
वक़्त आने पर वो चड्डी का भी रूप घरती है।
दुर्गा है काली है रहस्यमय शक्तिशाली है ।
इक्कीसवीं सदी की सीता है किसी रावण के साथ नहीं जाने वाली हैं।
घरती जैसा धैर्य है समुद्र सी सरल
हवाओं में कशिश है ।
शिव कि जटाओं से बहती गंगा कि तरह पवित्र ,
पार्वती सा विश्वास संजोए हुए
कृष्ण के मुख कि भांति है ठहराव
प्रेम ही है जिसके जीवन का सार ,
संस्कार है उसके उसकी पुश्तेनिक धरोहर
बनारस के घाट की शालिनता का प्रतीक है।
तनिक राधा सी है अपने कृष्ण की बंसी कि धुन सुन बरसाने से वृदांवन पहुंच जाती है।
फ़र्जों से बंधी बेड़ियों में लिपटी
रिश्तों में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम हैं।
अंधेरों से धिरी खुद दिए के लौ जैसी
रोशनी की तेज धार है ।
दहलीज की इज्जत
त्योंहारों की परम्परा
लक्ष्मी सा सम्मान है।
मन्दिरोंमेंहीनहींहरधरमेंहैउसकासाक्षातअवतार।
By Sunaina Arora
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