कर्म और भ्रम
- hashtagkalakar
- May 13, 2023
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By Priyanka Athia
अजीब हो तुम,
उस भगवान को कितना प्यार करते हो तुम,
पहला ब्रह्मा,
दूजा विष्णु,
तीजा महेश,
आगे अनेक धाम, अनेक नाम,
कहां-कहां घुमो तुम,
क्या-क्या पुकारो तुम।
दिन-रात की पूजा, काम नहीं दूजा,
क्या फूल चढ़ाओ , क्या वस्त्र पहनाओ,
दूध चढ़ाओ , भोग लगाओ ,
क्या मंदिर सजाओ।
कितने सचे हो तुम ,
उस भगवान से कितना प्रेम करते हो तुम ।
किंतु ! वो जो पूरी सृष्टि संभाले ,
जो पल में बनाय और पल में मिटा ढाले,
जो दिन की रात करे , बिन मोसम के बरसात करे,
वो केवल क्या "अठिया " तुमसे ,"
फूल , दूध , भोग की भाल करे ?
वो तो केवल हर मनुष्य से कहे, की अपना यह विचार बनाओ ,
मुझसे पहले किसी भूखे को खाना खिलाओ,
मुझे चढ़ाया दूध किसी गरीब को पिलाओ,
वो जो वस्त्र मेरे लिए है , किसी जरूरतमंद को पहनाओ,
अपने माता-पिता को घर बैठाओ,
किसी का हक़ छीन के उसका दिल ना दुखाओ,
यह मेरा धर्म है, यह तेरा धर्म है,
रोज़ के झगड़ों में, मासूमों का खून ना बहाओ,
जात-पात के भेद में दो दिल ना सताओ,
वो जो अनाथ है, उसका सहारा बन जाओ,
बहुत आसान नहीं है, बहुत मुश्किल नहीं है,
बस मेरे प्यार को मेरे लिए , इन बातों में जताओ।
By Priyanka Athia