By Famesh Thakre
नमस्कार प्रिय श्रोताओं,
आज मैं आपके सामने एक ऐसी कविता प्रस्तुत कर रहा हूँ जो दोस्ती की अनोखी और गहरी भावनाओं को व्यक्त करती है। यह कविता एक ऐसी दोस्त की तलाश में है जो हर परिस्थिति में साथ खड़ी रहे, चाहे वह खुशी की हो या गम की, रोमांच की हो या शांति की। यह कविता न सिर्फ दोस्ती की मिठास को दर्शाती है बल्कि उन छोटी-छोटी बातों को भी उजागर करती है जो एक सच्ची दोस्ती को अद्वितीय बनाती हैं।
कविता का शीर्षक है: "ऐसी दोस्त मेरी बन पाओगी क्या?"
बैठे हो हम दोनों अगर कहीं अकेले, x2
नज़रों से नज़रें तुम मिला पाओगी क्या?
जिन्हें सोचते ही भर आए जुनून मुझ में,
ऐसा एडवेंचर तुम मेरा बन पाओगी क्या?
ऐसी दोस्त मेरी बन पाओगी क्या?
मन करें मेरा बारिश में भीगने को कभी, x2
तुम बेझिझक मेरे साथ भीग पाओगी क्या?
और उड़ना चाहूँ मैं खुले आसमान में दूर कहीं,
तुम भी पंख से पंख मिला पाओगी क्या?
ऐसी दोस्त मेरी बन पाओगी क्या?
कई कोशिशों से ना बने मेरे बाल अगर, x2
तुम प्यार से मेरे बाल संवार पाओगी क्या?
और मन करें मैं खेलूँ तुम्हारे बालों सें अगर,
तुम उंगलियां उनमें फेरने दे पाओगी क्या?
ऐसी दोस्त मेरी बन पाओगी क्या?
झगड़ना चाहूँ मैं थोड़ा सा तुमसे अगर, x2
दो बाते टेढ़ी तुम भी कर पाओगी क्या?
और रूठ जाऊँ बस थोड़ा सा तुमसे अगर,
मनाने का नज़रिया भी तुम रख पाओगी क्या?
ऐसी दोस्त मेरी बन पाओगी क्या?
कुछ ना भी हो मेरे पास इस दुनिया में अगर, x2
अपना जरा सा वक्त मुझे दे पाओगी क्या?
और अपने भी बनाने लगे दूरी मुझ से अगर,
तुम साथ मेरा हमेशा दे पाओगी क्या?
ऐसी दोस्त मेरी बन पाओगी क्या?
चुन लूँगा मंजिलें भी जिंदगी में मुश्किल, x2
तुम हाथ पकड़ मेरी हिम्मत बन पाओगी क्या?
और तपुं धूप में जो पाने के लिए मंजिल,
अपनी साँसों से ठंडक मुझे दे पाओगी क्या?
ऐसी दोस्त मेरी बन पाओगी क्या?
आएंगी गम की रातें अगर जिंदगी में कभी, x2
वो सुकून भरी गोद मेरी बन पाओगी क्या?
जब बना लूँगा सपनों का आशियाँ भी इक दिन,
बेसब्री से वहाँ मेरा इंतज़ार कर पाओगी क्या?
ऐसी दोस्त मेरी बन पाओगी क्या?
जिस कदर अपनाना चाहता हूँ मैं तुम्हें, x2
तुम भी मुझे उस कदर अपना पाओगी क्या?
मिटाएँ ना मिटें कभी मरते दम तक,
ऐसी लकीर तुम मेरे हाथों की बन पाओगी क्या?
ऐसी दोस्त मेरी बन पाओगी क्या?
जिसे याद करके आये मुस्कुराहट हमेशा, x2
ऐसी तस्वीर दिल में बसा पाओगी क्या?
जहाँ शब्द भी कम पड़ जाएं बयां करने को,
ऐसी गहराई तुम मेरे दिल की बन पाओगी क्या?
ऐसी दोस्त मेरी बन पाओगी क्या?
ऐसी दोस्त मेरी बन पाओगी क्या?
धन्यवाद
By Famesh Thakre
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