एक ख्वाइश
- Hashtag Kalakar
- Aug 9
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By Niramay Pandey
कुछ कहना था तुमसे सुनना
चाहोगी क्या ?
गुलाब घोले इत्र की शीशी लिए खड़ा हुँ दर तेरे मिलने आना चाहोगी क्या ?
तूने छोड़ा था जा वही हुँ अभी अटका ,
हाँ , सही है क्या ये बात , पता करने ही सही मगर आना चाहोगी क्या ?
तुम मेरी हो ये सबको बताना चाहोगी क्या ?
मेरी किताबों के पन्नो में ज़िक्र तेरा है
की मेरी किताबों के पन्नो में ज़िक्र तेरा है
ये किसी अपने को बताना चाहोगी क्या ?
तुम मेरी हो ये मुझसे सुनना
चाहोगी क्या ?
की हाँ .... नहीं... करते हुए जज़्बात सभी के होते है
बस तुम उन अल्फाजों को किसी वक्त पर
जताना चाहोगी क्या ?
By Niramay Pandey

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