By Shivani Sharma
एक उम्र की गुज़ारिश न कर
इस तकाज़े से मैं डरती हूँ
मैं तो पलों की मोहताज़, मोहब्बत हूँ
पलों में जीती हूँ, पलों में मरती हूँ।
कभी जुनून से नापा मुझे, कभी सुकून से तोला
कभी आँखों में तलाशा मुझे, कभी शब्दों में टटोला
इसी जुस्तजू में, होने-ना-होने के फासले तय करती हूँ
पलों में जीती हूँ, पलों में मरती हूँ।
कभी ख़ुदा माना मुझे, कभी अपने ग़मों की वजह
कभी लबों की हँसी समझा, कभी एक सज़ा
इक उम्र में कई बार इस पैमाने से गुज़रती हूँ,
पलों में जीती हूँ, पलों में मरती हूँ।
तो, एक उम्र की गुज़ारिश न कर पलों का ही हिसाब ले
उम्र की फितरत फ़रेबी है तू न इसके ख़्वाब दे
पलों को सवार ले, यही आह भरती हूँ,
मोहब्बत हूँ, पलों में जीती हूँ पलों में मरती हूँ।
By Shivani Sharma
Beautiful!
sundar 😻