By Vikas Kumar Lodhi
गम इस बात का नहीं कि, दिल लगा बैठे किसी से।
तकलीफ़ तो तब हुई, जब उम्मीद भी लगा बैठे उसी से।
खुश तो तब थे, जब अपनी सारी खुशियां लूटा रहे थे किसी पर,
दुखी तो तब हुए, जब दुख में खुशियों की उम्मीद भी लगा बैठे उसी से ।
जब चोट उसे लगी थी, तो उससे ज्यादा खुद रोए थे,
पर हमारे चोट को नजरअंदाज कर , असल में घायल किया उसी ने।
खुश उस वक्त भी थे, जब किसी को हंसाने के लिए जोकर तक बने हुए थे,
तकलीफ तो तब हुई, जब जोकर ही समझ लिया हमें उसी ने।
By Vikas Kumar Lodhi
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