इस युग में क्या पाएगा तू?
- hashtagkalakar
- Sep 9, 2023
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By Anal Kishore Singh
कहते से थक गए मुख, इस युग में क्या पाएगा तू
ठहरते से कदम गतिमान हुए क्या दलदल में समाएगा तू
वेग धारा से निकले क्षीण हुए अंग अंग सारे
किस्मत से लय खो कर नृत्य हुए भंग सारे
कब वास्तविकता से परिचय करवाएगा तू?
चैतन्य की संरचना तू, उसके अंश का आकार तू
परास्त हुआ तो कौरव तू, विजयी हुआ तो पांडव तू
भटके मन जब वन वन, उन वनों का खांडव तू
मृत शक्ति के दृश्य में क्या अब नृत्य करेगा तांडव तू
मन सागर के प्रलय में कब स्थिर कहलाएगा तू
पृष्ठों का रुख बदल बदल, सुख दुख में भी सहज सरल
आखिर कब रह पाएगा तू
रह भी लिया तो क्या रहता चला जायेगा तू?
इस युग में क्या पाएगा तू?
स्थिरताओं का शोध कर, अवस्थाओं पर क्रोध कर
दर्शन को आकार दे और जीवन का बोध कर
क्या जीवन को व्यर्थ बहायेगा तू?
या इस व्यर्थ को अर्थ दे इस अर्थ में समाएगा तू
आखिर इस युग में और क्या पाएगा तू?
By Anal Kishore Singh