By Hemu Vikramaditya
दुल्हेंडी की सुबह हुई एक दिन पहले चुन चुन कर लाये हुए रंग छुपाकर रखी हुई जगह से निकाल लाये गए।
तीन दिन पहले दोस्तों के साथ मिलकर पूरी तैयारी कर ली गयी थी माने "मिनट टू मिनट प्रोग्राम" तैयार था।
बस इंतजार था कि कब घर से निकलें और उस प्रोग्राम को चालूं करें।
जेब और एक थैले को रंगों से लोड कर ही रहा था एक आवाज आई,"बे जल्दी आजा सारे लौंडे तैयार खड़े हैं"
भागते-भागते चाट खाई और एक हाथ मे गुंजियाँ लेकर दोस्त के पीछे बाइक पर बैठकर भाई हवा(पीछे से माता जी की आवाज आई जल्दी आ जाइये और सड़क पे सब पियो फ़िरों जा लड़ ना बैठाए किसी के साथ)
अब मित्रमण्डली मिलती है एक दोस्त के घर पर जँहा पर कार्यक्रम तय था।म्यूजिक सिस्टम,खाने के सामान और पानी का इंतजाम खत्म करने के बाद अब समय था अपने अपने रंग वाले अस्त्र-शस्त्र दिखाने का क्योंकि दो दिन बाद जब मिलेंगे तो जिसका लगाया हुआ रंग अंत तक नही उतरेगा इस बार का "महाराजा" का ताज वो स्वयं को देकर अगली दुल्हेंडी तक गर्व से सीना तान कर घूमेगा।
तो अब म्यूजिक के साथ शुरू होता है डांस और धीरे-धीरे वो डांस कब शक्ति प्रदर्शन मे बदल जाता है पता ही नही लगता।तभी अचानक एक पानी से भरा गुबारा तपाक मुँह पर आकर लगा।अब हमारे नियमों के अनुसार रंगों के इस युद्ध मे गुबारे का प्रहार अवैध और अमर्यादित था।तब युद्धविराम की घोषणा हुई(कुछ समय के लिए) तो पता लगा सामने वाली छत से वो प्रहार हुआ था।अब हमारे अंदर का योद्धा भी जागा और तुरन्त आदेश हुआ कि गुबारे लाये जाएं एक सैनिक गया और तत्काल प्रभाव से गुबारे और उनको भरने के लिए आधुनिक यंत्र लाये गए।
अब पानी के भरे हुए गुबारों का स्टॉक तैयार होने के बाद युद्ध भूमि मे उतरा गया।अब तक ये नही पता था कि सामने दुश्मन कौन है।और अचानक से हम सबके गयाब हो जाने के कारण प्रतिद्वंदी को लगा कि हम भाग गए तो उनका ध्यान भी वँहा से हट गया।तो ये पता करने के लिए कि सामने कौन है 2-4 गुबारों की फ्री फायर की गई।
तभी सामने प्रतिद्वंद्वी अपने छज्जे पर आए और लगा युद्ध शुरू होने से पहले ही मैं हार गया।उनकी सेनापति का गुलाल से रंगा हुआ चेहरा, वो आंखे जिनके अंदर अचानक से हुए हमले का बदला लेना दिख रहा था उनका प्रहार उस गुबारे से भी तेज हुआ।इतना मैं सम्भल पता उधर से तीव्र हमला शुरू हो गया।लेकिन ना जाने क्यों इस बार उससे
बचने का मन नही किया।तभी अचानक कान के पास से सन्न करता हुआ एक गुबारा दीवार पर जाकर लगा (और उधर उसने निशान चूक जाने की वजह से हाथ पर हाथ मारकर अफसोस मनाया लेकिन उसे ये नही पता था कि "जो निशाना उसने लगाया भी नही वो लग चुका था") गुबारे की दीवार पर लगने की आवाज से लगा कि हमले से बचना सही रहेगा।
दोस्तों के आवाज देने पर सम्भलते हुए योजना बनी क्योंकि अब सामने वाले प्रतिद्वंदी का भी पता लग चुका था।तो योजना बनी की पहले दो लोग गुबारे मारेंगे दूसरे राउंड मे जगह बदल कर दो लोग गुबारे मरेंगे जिनके निशाने ठीक हैं तो हम दो लोगों को दूसरी चौकी पर भेजा गया अब पहला हमला हुआ तो विरोधी बच गए जैसे ही वो हमला करने आये मैंने ताकत के साथ मे एक गुबारा फैंका जो सीधा जाकर उनके सेनापति ले मुँह पर लगा।
पानी का गुबारा लगते ही गुलाल उसके चेहरे से हट गया और उसका चेहरा देखकर मेरी "दीवाली और दुल्हेंडी" साथ साथ मन गयी गुबारा तेज लगने से उसके चेहरे पर आई मायूसी और दर्द साफ दिख रहा था।शायद गुबारा वँहा लगा था लेकिन उसका दर्द मुझे महसूस हुआ।जिस युद्ध के चलने की उम्मीद शाम तक थी वो 5-7 मिनट मे ही खत्म हो गया।
सामने वाली छत से दुश्मन के भाग जाने से हमारे युद्ध क्षेत्र मे खुशी की लहर दौड़ गयी लेकिन मेरी नजर अब भी उसी
छत पर थी "जो उस चेहरे को ढूढं रही थी" शायद जितना दर्द उसको हो रहा था उनता मुझे भी हो रहा था।इन सब से अनजान मेरे मित्र रंगों से खेल रहे थे उनका साथ मैं भी दे रहा था लेकिन ध्यान अब भी "उसी युद्ध क्षेत्र मे था"।
दोपहर के 2 बजने के बाद हमारा जश्न समाप्त होने वाला था सब अपने रंगों को जितना साफ हो सके उतना करने का प्रयास कर रहे थे तभी सामने छत पर मुझे वो नजर आयी हमारी नजर एक दूसरे से मिली "उसका वो गुस्सा उसकी आँखों मे मुझे साफ दिख रहा था" और "मेरी आँखों से ही मैंने उसे माफी मांगने का इशारा किया" तो उसने नजर घुमा ली अब थोड़ा डर लगा तो मैने भी अपनी नजरें घुमा ली लेकिन "नजरों और सांस पर जोर नही चलता" फिर उसकी ओर घूम गयी तो उसका भी ध्यान वापिस आया तो इस बार उसकी आँखों मे "गुस्सा नही था बस एक स्माइल थी" और इसके बाद वो अंदर चली गयी।
घर आने के बाद वो "अचानक लगे गुबारे से लेकर उस स्माइल तक" मे सारी दुल्हेंडी सिमट से गयी।
हर बार दुल्हेंडी रंगों वाली होती थी इस बार शायद "इश्क़" वाली हो गयी।
तब से लेकर अब तक नजरें "उस सेनापति" की ही तलाश मे हैं।
अगर अंत तक पढा हो तो प्रकिर्या जरूर दें ये मेरा पहला प्रयास है इस तरह के लेखन मे😁
धन्यवाद
By Hemu Vikramaditya
बहुत ही शानदार
👌👌👌
Bhut hi umda experience rha hoga
❤️❤️
Hemu Vikramaditya आपने एक रोमांटिक और उत्सव भरा अनुभव साझा किया है। यह कहानी दुल्हेंड़ी के प्रेम प्रसंगयुक्त उत्सवपूर्ण पलों की है, जिसमें दोस्ती, दोस्तों के साथ मस्ती और रंगीन युद्ध के बारे में है। आपने अच्छी तरह से इस कहानी में अपनी भावनाओं को व्यक्त किया है, और आपका पहला प्रयास बेहद अच्छा है।
धन्यवाद कि आपने इसे साझा किया। 😊