By Abhishek Sharma
आफतों का जंजाल लिए बैठा हूँ
बिस्तर पे भले ही लेटा हूँ पर तुम्हारा ख़्याल साथ लिए बैठा हूँ
मैं बीमारी पर बीमारी लिए बैठा हूँ और दवाई के रूप में तुम्हारी यादें लिए बैठा हूँ
अब ये खांसी तकलीफ नहीं देती, ये अच्छी लगती है
क्योंकि एक याद से दूसरी याद में, जाने के लिए खांसी जैसा रिमोट लिए बैठा हूँ
अब किताबों से मन उठ गया मेरा उसमें खाली तस्वीर दिखती हैं तुम्हारी
बार-बार लगता है कभी भी फोन कर सकती हो तुम इसलिए मोबाइल साथ लिए बैठा हूँ
तुम्हारी तकलीफ मुझे मेरे कमरे में भी पता चल जाती है
पर तुम्हारा घर के बाहर भीड़ है आशिकों की
इसलिए अपनी बीमारी को अपने पास के लिए बैठा हूँ !
By Abhishek Sharma
Comments