By Ayushmaan Vashishth
मुझे याद करती होगी आज वह
ये दिन देख कर, रात बर्बाद करती होगी आज वह
भीड़ जो है वहाँ पे
मेरी आवाज़ ढूंढ रही होगी आज वह
मेरा नाम निकल आया होगा
शर्म से पिघल रही होगी आज वह
शाम की आरती का समय हो गया है
मुझे तलाश करती होगी आज वह
मेरी मशाल बुझ सी रही है
शमा सी जलती होगी आज वह
मैं रहूँ या ना रहूँ उसके पास
हमदोनोंकोउसकेदिलमेंसाथरखतीहोगीआजवह।
By Ayushmaan Vashishth
Bahut pyaara!
Bohot khoobsurat!
Well-written!
Amazing 🥺❤️
Jodddd!!🔥🔥🔥🔥🔥🔥