आख़िरी पैग़ाम
- hashtagkalakar
- Dec 19, 2023
- 1 min read
Updated: Dec 22, 2023
By Abhimanyu Bakshi
उठाकर चलेंगे जब लोग मेरा जनाज़ा मंज़िल की जानिब,
मेरे दुश्मन भी आँख से तब आंसू बहाएँगे।
ता-उम्र जो हाथ मिलाने से भी कतराते थे,
मेरी अर्थी को चूमकर गले लगाएँगे।
मेरे सूखे बदन पर आँखों में कुछ नमी होगी,
अपने किए सब गुनाह जो आगे आएँगे।
याद करने वालों से कहिएगा कि याद न करें,
वक़्त ही ज़ाया होगा हम न आ पाएँगे।
हमें ख़ास न बेशक महज़ जगह देना ज़िंदगी में,
चले जाएँगे तो शायद बहुत याद आयेंगे।
By Abhimanyu Bakshi
Nice poem
Very beautiful poems Gbu. Harish Pahwa
really touching.. God bless you