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अंतिम समय

Updated: Sep 16, 2023

By Akanksha Kaushal



अनजान से थे रास्ते, मुकाम भी था दूर बढ़ा

खो गया मैं संसार में, न जाने शीशे में नया था ये कौन खड़ा।

मुकद्दर का न टाल सके कोई

वोही है पहले जैसा चहरा,

कौन है जानता, कितना हंसा ये

और किसको खबर, कितने आसुओं ने इसको घेरा।

घहरा है हर जख्म मिला जो,

भरेगा नहीं कितनी ही जान लगा लो,

जिसके लिए था गवाया जहाँ को,

आज दुआ करी कि उसकी हर एक याद मिटा दो।

जीवन में संकल्प लिए हुए,

खुदा की एक झलक लिए हुए,

भरोसे में खुद को बाँधे,

आज दे रहे मुझे चार लोग हैं काँधे।



सन्नाटा तो था बाहर मगर

शोर मच रहा था जिस्म के अंदर,

अंतिम समय जो आ गया था मेरा

चंद मिनटों में मैंने जी जिन्दगी जी भर कर।

शान्ति का कोई निशान नहीं,

न चेहरे पर हंसी, न आँखों में थी नमी

मिला सब कुछ जीवन में मुझे,

मेरी कहानी में न थी कोई कमी।

किरदार अपना बखूबी निभाया मैंने,

दुख - दर्द को खुशी से अपनाया मैंने,

आज वक्त जब खत्म हुआ,

तो रूह को खुदा से मिलवाया मैंने।


By Akanksha Kaushal




32 Comments

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ragini shrivastava
ragini shrivastava
Oct 11, 2023
Rated 5 out of 5 stars.

The words are sooo good and presented soo beautifully. well done. Keep rising. Keep shining.

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Rated 5 out of 5 stars.

Special.......

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Honey Sharma
Honey Sharma
Sep 21, 2023
Rated 5 out of 5 stars.

👽

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Amrita Kaur
Amrita Kaur
Sep 20, 2023
Rated 5 out of 5 stars.

Nice one❤️❤️

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Sakshi Sharma
Sakshi Sharma
Sep 19, 2023

❤️❤️❤️nice

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