अंतर्मन
- Hashtag Kalakar
- Aug 6
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By Aryawardhan Garg ( kajal )
अंतर्मन भाग 01
लोगों के चले जाने से सहमा सहमा अंतर्मन
यादों के मेलों में ही ठहरा ठहरा अंतर्मन
ख़ुशियों के आने से भी उबा उबा अंतर्मन
अपनो के बातों यादों में डूबा-डूबा अंतर्मन।
अंतर्मन भाग 02
अंतर्मन के भी अंदर भी अन्दर डूबा एक परिंदा......
परिंदे के अंदर अंधेरे से ऊबा एक परिंदा.....
उस परिंदे के जीवन में हरदम हलचल क्यों होता है ?
जिनको चाहे सिद्दत से सबको वो खोता है ...!!
सबको खो के कुछ दिन रो के....
रोना धोना छोड़ दिया...
लोगों के व्यवहार से कुम्पित.....
परिंदे ने खुदका ही गला मरोड़ दिया.....
अंतर्मन भाग 03
लौह पथ गामिनी को देख मेरा अंतर्मन..
सोचें भाग्य का कैसा ये लेख मेरा अंतर्मन...!!
यात्रा पे निकला है नए अनुभव के लिए ये जीवन ।।
पर किसी किसी यात्री से आसक्त हुआ ये अंतर्मन...!!
महा मूर्ख है ये यात्रीगण एक दूजे से जो आसक्त लिए बैठे है...
बड़े ही सावधानी से चलते यात्री जो मन में विरक्त लिए बैठे है..!!
पत्थरों के व्यापारियों से भरा है ये शहर
और शीशमहल में रहता है ये अंतर्मन.... !!
By Aryawardhan Garg ( kajal )

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